दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे | मन मंदिर की जोत जगा दो, घाट घाट वासी रे || मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी न दीखे सूरत तेरी | युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे || द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर में गूंगा बोले | अंधा देखे लंगड़ा… Continue reading दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे