हे रोम रोम मे बसने वाले राम

हे रोम रोम मे बसने वाले राम,जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,मे तुझ से क्या माँगू । आप का बंधन तोड़ चुकी हूँ ,तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूँ ।नाथ मेरे मै, क्यूं कुछ सोचूं,तू जाने तेरा काम॥जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,मे तुझ से क्या माँगू ।हे रोम रोम मे बसने वाले राम ॥ हे… Continue reading हे रोम रोम मे बसने वाले राम

शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से

शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम सेअब बात बढ़ चुकी है हया के मक़ाम से तस्वीर खींच ली है तिरे शोख़ हुस्न कीमेरी नज़र ने आज ख़ता के मक़ाम से दुनिया को भूल कर मिरी बाँहों में झूल जाआवाज़ दे रहा हूँ वफ़ा के मक़ाम से दिल के मुआ’मले में नतीजे की फ़िक्र… Continue reading शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से

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