आओ जी सखियों आओ जी अड़ीयो देखो चीज निराली

aao ji sakhiyo aao ji adiyo dekhi chij niralina ye muchho wali sah hai aur na ye choti walimujhe to skhi roop iska dono ke bich ka lagtamujhe to skhi roop iska dono ke bich ka lagtadesh desh main teri kahatir wetar banakar ghumaagaa gaa kar wo dhum machai sara yurop jhumamujhe na dhunkar goriye… Continue reading आओ जी सखियों आओ जी अड़ीयो देखो चीज निराली

खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार

खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यारखाली से मत नफरत करना खाली सब संसार बड़ा-बड़ा सा सर खाली डब्बा, बड़ा-बड़ा सा तन खाली बोतलवो भी आधे खाली निकले जिन पे लगा था भरे का लेबलहमने इस दुनिया के दिल में झाँका है सौ बार |खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार …. भरे थे तब… Continue reading खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार

शरमा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से

शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम सेअब बात बढ़ चुकी है हया के मक़ाम से तस्वीर खींच ली है तिरे शोख़ हुस्न कीमेरी नज़र ने आज ख़ता के मक़ाम से दुनिया को भूल कर मिरी बाँहों में झूल जाआवाज़ दे रहा हूँ वफ़ा के मक़ाम से दिल के मुआ’मले में नतीजे की फ़िक्र… Continue reading शरमा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से

आजा तुझको पुकारे मेरा प्यार 

आ जा आ जा आ जा तुझको पुकारे मेरा प्यार आजा, मैं तो मिटा हूँ तेरी चाह में तुझको पुकारे मेरा प्यार आखिरी पल है आखिरी आँहें तुझे ढूँढ रही हैं डूबती सांसें बुझती निगाहें तुझे ढूँढ रही हैं सामने आजा एक बार आजा, मैं तो मिटा हूँ … दोनो जहाँ की भेंट चढ़ा दी… Continue reading आजा तुझको पुकारे मेरा प्यार 

हे रोम रोम मे बसने वाले राम

हे रोम रोम मे बसने वाले राम,जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं | आप का बंधन तोड़ चुकी हूं, तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं |नाथ मेरे मै क्यूं कुछ सोचूं तू जाने तेरा काम || तेरे चरण की धुल जो पायें, वो कंकर हीरा हो जाएँ |भाग मेरे जो… Continue reading हे रोम रोम मे बसने वाले राम

वो ज़िंदगी जो थी अब तक तेरी पनाहों में

वो ज़िन्दगी जो थी अब तेरी पनाहों मेंचली है आज भटकने उदास राहों में | तमाम उम्र के रिश्ते घड़ी में ख़ाक़ हुएन हम हैं दिल में किसी के न हैं निगाहों में | ये आज जान लिया अपनी कमनसीबी नेकि बेग़ुनाही भी शामिल हुई ग़ुनाहों में | किसी को अपनी ज़रूरत न हो तो क्या कीजेनिकल पड़े हैं सिमटने क़ज़ा की बाँहों में |

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